आज इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी फ्री में vindheshwari chalisa pdf डाउनलोड कर सकते है जिसका डाउनलोड लिंक निचे दिया गया है| आप सभी जानते है की माँ दुर्गा के अनेक रूप है उन्हीं रूपों में से एक है “माँ विंध्येश्वरी” | इन्हीं के पूजन में विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ किया जाता है, जो मां विंध्येश्वरी को समर्पित है। यह पाठ हिन्दू भक्तों द्वारा विशेष भक्ति और समर्पण के साथ पढ़ा जाता है, जिन्हें मां विंध्येश्वरी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की इच्छा होती है।
विंध्येश्वरी चालीसा के पाठ से भक्त मां विंध्येश्वरी के सदय दर्शन और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह पाठ मन, वचन, और क्रिया से किया जाता है और आत्मा को शांति और ध्यान की अवस्था में ले जाने का प्रयास करता है। विंध्येश्वरी चालीसा भक्तों के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में महत्वपूर्ण होता है और मां की पूजा उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है। निचे दिए गये लिंक से vindheshwari chalisa pdf डाउनलोड करे|
विंध्येश्वरी चालीसा – Vindheshwari Chalisa Pdf
!! दोहा !!
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज मेंकरती नहीं विलम्ब॥!! चौपाई !!
जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदि शक्ति जग विदित भवानी॥सिंहवाहिनी जय जग माता।
जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥कष्ट निवारिणी जय जग देवी।
जय जय असुरासुर सेवी॥महिमा अमित अपार तुम्हारी।
शेष सहस्र मुख वर्णत हारी॥दीनन के दुख हरत भवानी।
नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी॥सब कर मनसा पुरवत माता।
महिमा अमित जगत विख्याता॥जो जन ध्यान तुम्हारो लावै।
सो तुरतहिं वांछित फल पावै॥तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी।
तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी॥रमा राधिका श्यामा काली।
तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली॥उमा माधवी चण्डी ज्वाला।
बेगि मोहि पर होहु दयाला॥तू ही हिंगलाज महारानी।
तू ही शीतला अरु विज्ञानी॥दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता।
तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता॥तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी।
हेमावती अम्बे निर्वाणी॥अष्टभुजी वाराहिनी देवी।
करत विष्णु शिव जाकर सेवी॥चौसट्ठी देवी कल्यानी।
गौरी मंगला सब गुण खानी॥पाटन मुम्बा दन्त कुमारी।
भद्रकाली सुन विनय हमारी॥वज्र धारिणी शोक नाशिनी।
आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी॥जया और विजया वैताली।
मातु संकटी अरु विकराली॥नाम अनन्त तुम्हार भवानी।
बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥जापर कृपा मातु तव होई।
तो वह करै चहै मन जोई॥कृपा करहुं मो पर महारानी।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी॥जो नर धरै मातु कर ध्याना।
ताकर सदा होय कल्याना॥विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै।
जो देवी का जाप करावै॥जो नर कहं ऋण होय अपारा।
सो नर पाठ करै शतबारा।निश्चय ऋण मोचन होइ जाई।
जो नर पाठ करै मन लाई।अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै।
या जग में सो अति सुख पावै।जाको व्याधि सतावे भाई।
जाप करत सब दूर पराई।जो नर अति बन्दी महँ होई।
बार हजार पाठ कर सोई।निश्चय बन्दी ते छुटि जाई।
सत्य वचन मम मानहुं भाई।जा पर जो कछु संकट होई।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई।जो नर पुत्र होय नहिं भाई।
सो नर या विधि करे उपाई।पांच वर्ष सो पाठ करावै।
नौरातन में विप्र जिमावै।निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी।
पुत्र देहिं ता कहं गुण खानी।ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै।
विधि समेत पूजन करवावै।नित्य प्रति पाठ करै मन लाई।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई।यह श्री विन्ध्याचल चालीसा।
रंक पढ़त होवे अवनीसा।यह जनि अचरज मानहुं भाई।
कृपा दृष्टि तापर होइ जाई।।जय जय जय जग मातु भवानी |
कृपा करहुं मोहिं पर जन जानी।!! इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा !!
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