[Original] Shiv Chalisa Pdf Download in Hindi || श्री शिव चालीसा [40 Line] & आरती

यदि आप भोलेनाथ के भक्त हैं और Shiv Chalisa Pdf को डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट की मदद से Shiv Chalisa Pdf File को फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं वैसे तो हम सब जानते हैं कि भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा जाता है जो ब्रह्मा विष्णु के साथ मिलकर इस सृष्टि का पालन करते हैं.

shiv chalisa pdf download
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महादेव त्रिमूर्ति के एक अंश है जिनमें ब्रह्मा सृष्टि के रचनाकार, विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं और महादेव को सृष्टि का संहारक माना जाता है. हे शिव भक्तों आप सभी Shree Shiv Chalisa को हिंदी में डाउनलोड करके इसी नित्य दिन आप शिव के समक्ष पढ़ सकते हैं जिससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस लेख में हमने Full Shiv Chalisa के अलावे आपको शिव भक्ति के मार्ग और उपाय भी बताए हैं इसलिए आप अंत तक हमारे साथ बने रहिए.

शिव चालीसा || Shiv Chalisa Pdf Download in Hindi

हे शिव भक्तों आप सभी जानते हैं कि महादेव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि यह इतने भोले होते हैं कि अपने भक्तों को बिना कुछ सोचे समझे भक्तों के विचार के अनुसार उन्हें वरदान दे देते हैं इसलिए इन्हें भोलेनाथ कहते हैं जैसे- भस्मासुर की कहानी आप सभी को पता ही होगा जो महादेव से वरदान पाकर इन्हीं के ऊपर उसकी सत्यता की जांच करने लगा यह बात महादेव को पहले से पता था फिर भी उन्होंने अपने भक्तों को वही वरदान दिया जो उसकी इच्छा थी.

शिव चालीसा दोहा फोटो

कालों के काल महाकाल को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा की रचना की गई है जिसको नित्य दिन पढ़कर भक्त अपने प्रभु से मनचाहा वरदान पा सकता है. यदि आपके पास शिव चालीसा हिंदी में पीडीएफ नहीं है तो आप नीचे दिए गए लिंक से डायरेक्ट शिव चालीसा हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं.

ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति का विवाह से जुड़ी समस्या है वह व्यक्ति शिव चालीसा को प्रत्येक सोमवार को यदि ध्यान पूर्वक पड़ता है तो उसकी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं.श्री शिव चालीसा में 40 चौपाई है जिसे दिव्य पद भी कहा जाता है.

Shri Shiv Chalisa || Shiv Chalisa Lyrics Pdf in Hindi

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥

॥ भगवान शिव की चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

|| शिव जी की चौपाई || 

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

Shiv Chalisa PDF Download Link

शिव चालीसा फोटो डाउनलोड 

शिव चालीसा फोटो
शिव चालीसा फोटो

 

शिव चालीसा का महत्त्व

शिव चालीसा हिंदू धर्म के प्रमुख देवता श्री शंकर भगवान को समर्पित है जो भगवान शिव की महिमा, गुण और उनके चमत्कारी कार्यों की व्याख्या करता है. शिव चालीसा पाठ का उच्चारण शिवभक्त इसलिए करते हैं कि उनके मानसिक और आध्यात्मिक शांति, सुख और जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति हो सके.

फुल शिव चालीसा को जो भक्त उच्चारण करते हैं या जो इसके उच्चारण को सुनते हैं उनके मन को शांति और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है इसलिए शिव चालीसा का महत्व काफी बढ़ जाता है जिसके कुछ निम्न कारण है.

भगवान शिव की प्रशंसा :भगवान शिव के अलग अलग गुणों, महिमाओं का बखान शिव चालीसा में किया गया है जिसका उच्चारण करने वाले या सुनने वाले शिव भक्त कि मन को शांति मिलती है जो अपने आप को शिव की प्रति समर्पण कर देता है

मन के शांति हेतु :फुल शिव चालीसा के पाठ का उच्चारण करने से मन को शांति मिलती है क्योंकि इस चालीसा में भोलेनाथ की महिमाओं की गाथा बताई गई है जिसको सुनकर मन तृप्त हो जाता है इसलिए आप भी Shiv Chalisa Pdf को डाउनलोड करके नित्य दिन आप शिव के समक्ष इसका उच्चारण कर सकते हैं जिससे मन को शांति मिलती है.

शिव चालीसा पाठ की कृपा : हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि शिव चालीसा के पाठ करने वाले भक्तों को शिव की अनंत भक्ति, शक्ति और उत्साह का अनुभव होता है जिसके माध्यम से भक्त शिव की कृपा को बहुत ही सरल तरीके से प्राप्त कर लेता है.

दुःखों के निवारण: यदि आपने शिव चालीसा पीडीएफ डाउनलोड कर लिया है तो आप इसे प्रत्येक सोमवार को या नित्य दिन शिव के प्रतिमा समक्ष उच्चारण कर सकते हैं जिससे आपके दुख और भयों का निवारण हो जाता है. जो भक्त शिव चालीसा का नियमित रूप से पड़ता है उसके मन की शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होता है.

मोक्ष की प्राप्ति: मनुष्य के जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति करना होता है जिसके लिए वह किसी भी प्रकार के कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है. इनमें शिव चालीसा भी शामिल है जिसको नियमित रूप से पढ़ने से ही शिव भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

अतः आप भी शिव चालीसा पीडीएफ फाइल को नीचे दिए गए लिंक से फ्री में डाउनलोड करके समय अनुसार आप इसे पढ़ सकते हैं जिससे आपके मन को शांति और आत्मविश्वास को शक्ति मिलता है.

Shiv Chalisa Padhne Vidhi | शिव चालीसा पाठ के नियम

यदि आपने शिव चालीसा पीडीएफ को हिंदी में डाउनलोड कर लिया है तो अब मैं इसके बाद आपको बताता हूं किसी शिव चालीसा का उच्चारण करने से पहले आपको किन किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है नहीं तो इसके गलत इस्तेमाल से हमारे ऊपर इसका बुरा प्रभाव भी पड़ता सकता है इसलिए श्री शिव चालीसा को इस्तेमाल करने की पूरी विधि आगे इस पोस्ट में बताई गई है इसको ध्यान पूर्वक पढ़कर ही आप शिव भक्त इससे लाभ पा सकते हैं.

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. सबसे पहले आप सुबह जल्दी उठकर स्नान करें तत्पश्चात आप साफ-सुथरे कपड़े पहने.
  3.  शिव चालीसा पढ़ने से पहले अपना मुख पूर्व दिशा में रखें और कुश के बने आसन पर बैठे
  4. भोलेनाथ की पूजा के लिए सफेद चंदन, चावल, धूप, दीप,  पुष्प, बेलपत्र, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के रूप में रखें. इसके अलावा प्रसाद और भी रख सकते हैं. 
  5. चालीसा  का पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें। 
  6. शिव चालीसा का पाठ  आप  3, 5, 11 या फिर 40 बार कर सकते हैं 
  7. शिव चालीसा का पाठ एक सुर में करें जिसमें एक लाए हो.
  8. शिव चालीसा का पाठ  पूरे भक्ति भाव से करें  जिसमें आपका मन एकाग्र रहो. 
  9. पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
  10. थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें।

Shiva Stuti | शिव स्तुति

शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।
काम – मद – मोचनं, तामरस – लोचनं, वामदेवं भजे भावगम्यं ॥

कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
सिद्ध – सनकादि – योगींद्र – वृंदारका, विष्णु – विधि – वन्द्य चरणारविंदं ॥

ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
नौमि करुणाकरं, गरल – गंगाधरं, निर्मलं, निर्गुणं, निर्विकारं ॥

लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
कालकालं, कलातीतमजरं, हरं, कठिन – कलिकाल – कानन – कृशानुं ॥

तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
प्रचुर – भव – भंजनं, प्रणत – जन – रंजनं, दास तुलसी शरण सानुकूलं ॥

शिव स्तुति

शिव जी की आरती हिंदी में PDF

शिव पुराण के अनुसार जो व्यक्ति शिवजी की आरती नित्य दिन करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं जिसके लिए उसे सही से शिवजी की आरती का उच्चारण आना चाहिए जिसके लिए नीचे इस पोस्ट में शिवजी की आरती को हिंदी में दिया गया है जिसका उपयोग आप शिवजी की पूजा आराधना में कर सकते हैं.

शिव चालीसा आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

Shiv Chalisa Pdf Lyrics Video

FAQ (Shiv Chalisa Pdf)

Q.शिव चालीसा कब पढ़ना चाहिए?

Ans. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शिव चालीसा का पाठ प्रत्येक सोमवार को श्रद्धा मन से करना चाहिए जिससे शिव भक्तों तथा उनके सुनने वालों को लाभ मिलता है. शिव चालीसा को कैसे पढ़ा जाता है इसको ऊपर पोस्ट में बताया गया है.

Q.शिव चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं?

Ans. जो व्यक्ति नित्य दिन शिव चालीसा का पाठ ध्यान पूर्वक करता है उसके मन को शांति तथा आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है. यदि आपके विवाह से संबंधित कोई दोष है तो आप प्रत्येक सोमवार को यदि शिव चालीसा का पाठ ध्यान पूर्वक करते हैं तो धर्म शास्त्रों के अनुसार आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

Q.शिव चालीसा कितनी बार पढ़ना है?

Ans.शिव चालीसा का पाठ आप नित्य दिन कर सकते हैं आपको बता दें शिव चालीसा में कुल 40 पंक्तियां हैं जिनको आप 3,5,11 या 40 बार पढ़ सकते हैं परंतु इसका उच्चारण करने से पहले कुछ निम्न बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है जिसका वर्णन इस लेख में किया गया है.

Q.शिव चालीसा सबसे पहले किसने लिखी थी?

Ans. शिव चालीसा भगवान भोलेनाथ को समर्पित एक भक्ति का स्रोत है जिसकी रचना पुराणों के आधार पर अयोध्या दास जी ने किया था.इसलिए इन्हें शिव चालीसा का रचनाकार माना जाता है.

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